‘समीक्षा आदेश अलमारी में रखने के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं की बहाली को लेकर की टिप्णणी

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए याचिकाओं पर विचार करने के समीक्षा आदेश अलमारी में रखने के लिए नहीं हैं। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने प्रशासन को उन्हें प्रकाशित करने के निर्देश दिए हैं। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंध से संबंधित मामले को लेकर शीर्ष कोर्ट में सुनवाई हुई।
फाउंडेशन फाॅर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर याचिका में जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों पर केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति द्वारा पारित समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करने की मांग की गई थी। इस दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से जानना चाहा कि क्या इंटरनेट प्रतिबंध के संबंध में समीक्षा आदेश सुप्रीम कोर्ट के अनुराधा भसीन मामले में फैसले के तहत सार्वजनिक किए गए या नहीं।
‘आदेशों को अलमारी में नहीं रखा जाना चाहिए’
पीठ ने कहा कि उन आदेशों को अलमारी में नहीं रखा जाना चाहिए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इंटरनेट प्रतिबंध से संबंधित समीक्षा आदेश प्रकाशित करने के निर्देश दिए। पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज को निर्देश लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को अवगत कराने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

‘विचार-विमर्श के बारे में भूल जाइये’
नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों से संबंधित समीक्षा आदेशों के संबंध में विचार-विमर्श की जानकारी प्रकाशित करने के लिए है। इस पर शीर्ष कोर्ट ने एएसजी से कहा कि विचार-विमर्श के बारे में भूल जाइये। आप आदेश प्रकाशित करें। क्या आप यह बयान दे रहे हैं कि समीक्षा आदेश प्रकाशित किए जाएंगे? इस पर एएसजी ने कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि समिति के विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं है, लेकिन पारित समीक्षा आदेशों को प्रकाशित करना जरूरी है।