आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है एक वर्ष पहले आठ हजार से अधिक मरीज और 18 मौतों के बाद इस बार स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डेंगू की जांच के लिए तो बेहतर व्यवस्था की थी, लेकिन मच्छरों को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल नजर आया।
इसके साथ ही पुराने शहर से लेकर पाश कालोनियों तक में कई जगहों पर गड्ढों में जमा पानी और पुराने वाहनों से लेकर लोगों के गमलों तक ने मच्छरों के पनपने और बीमारी बढ़ाने का काम किया। जानकारी के अनुसार यह तक कि डेंगू पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू में भी हालात बेहतर नहीं हैं।
साथ ही कई जगहों पर गड्ढ़े बने हुए हैं, जिनमें पानी भरा रहता है। हालांकि यहां इस बार डेंगू का कोई मामला नहीं आया है। अधिकारियों का कहना है कि यहां पर पानी का जो एक टैंक है, वहां पर गंबुजिया मछली डाली गई है जो मच्छर को पनपने नहीं देती है। लेकिन इस बार सार्वजनिक स्थलों पर कम, लोगों के घरों के भीतर मच्छर का लारवा अधिक मिला।
बता दें कि गांधीनगर और छन्नी हिम्मत में लोगों के घरों में गमलों के बीच लारवा मिला। इन क्षेत्रों में डेंगू के मामले भी सबसे अधिक मिले। जम्मू नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने इन क्षेत्रों में मच्छर को मारने के लिए फागिंग अभियान जरूर चलाया, लेकिन एक दिन अभियान चलाने के कुछ दिनों बाद या फिर साथ वाले क्षेत्रों से मच्छर फिर पनपने लगा।
जम्मू-कश्मीर में डेंगू के 111 मामले शनिवार को और दर्ज हुए। पीड़ितों में 13 बच्चे और 40 महिलाएं शामिल हैं। सबसे अधिक 73 मामले जम्मू जिले में आए, जबकि सात मामले सांबा, आठ कठुआ, आठ उधमपुर, एक रियासी, तीन राजौरी, छह डोडा, तीन किश्तवाड़ और दो अन्य प्रदेशों से आए। अभी तक कुल 4170 मामले आए। सबसे अधिक 2765 मामले जम्मू जिले में आए हैं, जबकि 271 सांबा, 331 कठुआ, 513 उधमपुर, 42 रियासी, 77 राजौरी, 25 पुंछ, 36 डोडा, 45 रामबन, सात किश्तवाड़, 22 कश्मीर और 32 अन्य प्रदेशों से आए। अभी तक कुल 1334 मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में आए। इनमें से 1206 को छुट्टी हो गई। 92 का अभी भी अस्पतालों में इलाज जारी है। चार मरीजों की मौत हो गई है।